bhoot ki kahani No Further a Mystery
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Bhoot ki kahani
तब उनकी पत्नी ने उन्हें देख लिया . और छुड़ाया उनसे पूछने लगी. अरे आपको क्या हो गया। जो आप ऐसी वैसी हरकतें करने लग गए। तो वे कुछ नहीं बोले. जैसे कोई पागल कोई बात को सुन रहा हो। उनकी औरत परेशान होकर डॉक्टर के घर पहुंची और उनका इलाज करने को कहा हालांकि डॉक्टर को बीमारी समझ में नहीं आई। फिर भी वह उनको ग्लूकोज की बोतलें चढ़ाना चालू कर दिए। धीरे-धीरे कुछ दिन बीतते गए लाल सिंह की तबीयत मानो कैंसर के मरीज से भी बत्तर हो गई ।
तीन कहानियाँ- जो बदल सकती हैं आपकी जिंदगी!
यह किस्सा मध्य प्रदेश के रीवा जिले का है। रीवा जिले में नेहरा नाम का एक गांव है, यहां के लोग बताते हैं की बहुत […]
*ये सीरीज पूर्व प्रकाशित सीरीज "मिट्टी - अंत या शुरुआत" का दूसरा सीजन है। तो इसे पढ़ने के पूर्व पहले उसे पढ़ लें। मिट्टी - अंत या शुरुआत" मेरी प्रोफाइल पर मौजूद है ***** वो रात्रि का दूसरा प्रहर था। ...
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भूत-प्रेत के किस्से सुनने में बेहद रोमांचक और दिलचस्प लगते हैं लेकिन क्या हो जब यह किस्से सिर्फ किस्से ना रहकर एक हकीकत की तरह आपके सामने आएं?
उस चिट्ठी में लिखा हुआ था.कि कल जब फैक्ट्री से निकलो तो जहां पर मैं खड़ी रहती हूं वहां पर मेरा इंतजार करना उस के दूसरे दिन मैं वहां पर पहुंच गया। तो वह लड़की वहां पर नहीं खड़ी थी। मैंने काफी इंतजार किया फिर मैं अपने घर की तरफ चल दिया.
हमें आशा है की आपको हमारे ब्लॉग पर लिखी गयी horror stories for kids in hindi पसंद आई होगी। इस लेख में हम क़ोसिश करेंगे रोज नए नए horror Tale in hindi, hindi tales of ghost, Bhoot pret ki sachi kahaniyan लिखने की ताकि आपको रोज कुछ नया पड़ने को मिले।
थोड़ी दूर और चलने के बाद उसने मुझसे मेरा नाम पता और क्या करते हैं पूछा , मैं उसको बताने लगा की मेरा नाम हारिस हसन है और मैं एक टीचर हूँ और सब बात बताते हुए मैं अपनी धुन में बाइक को तेज़ गति से दौड़ा रहा रहा था । रस्ते मैं पहाड़ के पास अचानक मैं देखता हूँ की जिस औरत से मैं बात कर रहा हूँ वो मेरे बात का कोई जवाब नहीं दे रही है , फिर मैं जब पीछे मुड़कर उस औरत के तरफ देखा तो देखता हूँ की वो औरत वहां है ही नहीं। गायब हो गई ।
इतने में और घना अंधेरा छा गया अंधेरा इतना था । कि एक हाथ को दूसरा हाथ दिखाई नहीं दे रहा था। इतने में ट्रेन आ गई ।और बिजली रह-रहकर चमक रही थी।
क्या पता इसको भी इन चीजों में दिलचस्पी हो दूसरे दिन हम लोगों ने ऐसा ही किया तो रात में वह अंदर खेलने नहीं आया। हम लोग ऐसा चार-पांच दिन में एक बार रख के आ जाते थे । एक बार गांव वालों ने देख लिया और पूछा तो हमने सारी बातें बता दी । तब से आज भी वहां पर गांव वाले बीड़ी माचिस ताश के पत्ते हफ्ते में एक बार जरूर चढ़ाते हैं। और आज भी वह आत्मा किसी को परेशान नहीं करती।
, लेकिन फिर से ऐसा हुआ तो वह चौंक कर उठ गया। उसने चारों तरफ देखा तो वहां कोई भी नहीं था। रमेश को लगा कि उसने फिर से कोई बुरा सपना देखा है। रमेश यह सब सोच ही रहा था कि उसे पायल की आवाज आई। उसने चारों तरफ देखा तो उसे एक लड़की जाती हुई दिखी। रमेश उस लड़की को आवाज देकर रोकने लगा। रुको, अरे सुनो, रुको। वह जैसे ही उस लड़की के पास गया तो वह लड़की गायब हो गई थी। रमेश इस बार घबरा गया था। उसके माथे का पसीना साफ साफ बता रहा था कि वह बुरी तरह से डर गया है।
उसे सब धुंधला दिखाई दे रहा था। वह डर से चिल्लाने लगा। तभी रेलवे स्टेशन मास्टर प्रसाद भागा हुआ आया और उसने रमेश को पटरी से बाहर निकाला। रमेश कुछ देर तक बेहोश रहा। रेलवे मास्टर प्रसाद ने रमेश के ऊपर पानी छिड़का तो वह उठकर चिल्लाने लगा। प्रसाद ने उसे शांत किया और उसे दिलासा दिया कि वह ठीक है। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह कैसे हादसे हो रहे हैं। प्रसाद ने पहले तो उसे डांटा कि वह पटरी के इतने पास क्यों गया।
लेकिन ये हो कैसे सकता है बाइक की गति तेज थी इसलिए उतरने का तो कोई चांस ही पैदा नहीं होता। .